साहित्यकार
विजय दान देथा नहीं रहे जिन्हें बिज्जी के नाम से भी जाना जाता था. वे अपनी हिंदी कहानियो में
राजस्थानी लोक जीवन के लिये जाने जाते थे. इस मायने में उन्हें हिंदी कथा जगत में फणीश्वर नाथ
रेणु की परंपरा में देखा गया है. मैंने उनकी
कहानी 'मरवण' पढ़ी और उनकी एक कहानी पर बनी फिल्म 'पहेली' देखी. उनकी कहानी और फिल्म *पहेली' दोनों ही राजस्थान के लोक जीवन से रची
बसी है फिल्म 'पहेली' शाहरूख खान की सर्वश्रेष्ठ फिल्म
है. छत्तीसढ़ में लिखी जा रही हिंदी कहानियो में इस तरह का प्रयोग परदेशी राम वर्मा
की कहानियो में देखा जा सकता है. बिज्जी यानि
विजय दान देता हिंदी के ऐसे संभावनाशील कहानीकार थे जो कुछ दिन और जी जाते तो
उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी नवाजा जाटा. -
विनोद साव
No comments:
Post a Comment