20 सितंबर 1955 को दुर्ग में जनमे विनोद साव समाजशास्त्र विषय में एम.ए.हैं। वे भिलाई इस्पात संयंत्र में सहायक प्रबंधक हैं। हिंदी व्यंग्य के सुस्थापित लेखक विनोद साव अब उपन्यास, कहानियां और यात्रा वृतांत लिखकर भी चर्चा में हैं। उनकी रचनाएं हंस, पहल, वसुधा, अक्षरपर्व, ज्ञानोदय, वागर्थ और समकालीन भारतीय साहित्य में भी छपी हैं। दो उपन्यास, तीन व्यंग्य संग्रह, एक संस्मरण, एक कथा संग्रह और एक यात्रावृत्तांत संग्रह सहित उनकी कुल बारह किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे उपन्यास के लिए डॉ. नामवरसिंह और व्यंग्य के लिए श्रीलाल शुक्ल से भी सम्मानित हुए हैं।
विनोद भाई आज फोटो देखी है. अच्छे लग रहे हो. रचनायें कल पढूंगा
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